Desh Bhakti Shayari Best Desh Bhakti Wishes Shayari Sms Quotes
भरा नहीं जो भावो से, बहती जिस मैं रस धार नहीं ,
वह ह्रदय नहीं पत्थर हैं , जिस मैं स्वदेश का प्यार नहीं।
अनेकता में एकता इस देश की सान हैं। इसीलिए देश मेरा भारत महान हैं।
गजरे की खुसबू की तरह महकते आया हूँ , मेरी नन्ही सी चिड़िया को चहकाते आया हूँ ,
मुझे छाती से अपने तू लगा दे भारत माँ, में अपनी माँ की बाहो को तरसता छोड़ आया हूँ ।
हल्की सी धूप आती है बरसात के बाद ,
छोटी सी खुशी चाहिए हर बात के बाद ,
गणतंत्र दिवस मुबारक हो आपको सुभकामनाओं के साथ।
जमाने भर में मिलते हे आसिक कही, मगर वतन से खूबसूरत कोई सनम नहीं होता,
रहते हैं कई नोटों में भी लिपट कर , मगर तिरंगे से खूब सूरत कोई कफन नहीं होता।
चिंगारी आजादी की सुलगी मेरे जिस्म मैं हैं, एक्लम की ज्वालायें लिपटी मेरे बदन में हैं,
मोत जहाँ जनत हो ये बात मेरे वतन में हैं, कुर्वानी का जब्जा जिन्दा में नहीं कफ़न में हैं।
में भारत वर्ष का हरदम समान करता हूँ, यह की चांदनी मिटी का ही गुड़गान करता हूँ।
मुझे चिंता नहीं हे स्वर्ग जाकर मोक्छ पाने की, तिरंगा हो कफ़न मेरे बस यही अरमान रखता हूँ।
वक्त अड़ गया हैं अब दुनिया को साफ साफ कहना होगा,
अब तो देश प्रेम की प्रबल धार में हर मन को बहना होगा ,
जिसे तिरंगा न लगे प्यारा, वो मेरा देश छोड़ जाये ,
हिंदुस्तान में हिंदुस्तानी बन कर हमें अब रहना होगा।
अपनी आजादी को हम हरगिज मिटा सकते नहीं,
सर कटा नहीं सकते लेकिन सर जुका सकते नहीं,
सेकी तो करता है हर कोई, महबूब पर मरता हे हर कोई,
कभी वतन को महबूब बना कर देखो तुझ पर मरेगा हर कोई।
में मुस्लिम हूँ, में हिन्दू हूँ, है दोनों इंसान, ला में तेरी गीता पढ़ लू , तू पढ़ ले कुरान,
सपनर तो दिल में है दोस्त, बस एक ही अरमान, एक थाली में खाने वाला हिंदुस्तान।
मेरा तेरा यही अंदाज जमाने को खलता हे, की चिराग हवा के खिलाप क्यों जलता है,
अमन पसंद है मेरे सर दगा रहने दो, लाल और हरे को मत बांटो, मेरे छत पर तिरंगा रहने दो।
आवो झुक कर करे सलाम उन्हें जिनके हिसे में ये मुकाम आता है,
कितने खुश नसीब हैं वे लोग जिनका खून वतन के काम आता है।
में भारत वर्ष का समान करता हु, यह की चांदनी मिटी का गुड़गान करता हूँ,
मुझे चिंता नहीं है स्वर्ग जाकर मोक्छ पाने की, तिरगा हो कफ़न मेरा बस यही अरमान रखता हूँ।
भारत का करना नमन छोड़ दे, कह दे वो मेरा वतन छोड़ दे,
मजहब प्यारा हे जिसे देश नहीं, वो इसकी मिटी में होना दफन छोड़ दे , बंदेमातरम।
आजादी की कभी सैम नहीं होने देंगे, बची हों जो एक बून्द भी,
गर्म लहू की तब तक भारत के आँचल नीलाम नहीं होने देंगे।
आन देश की सान देश की देश की हम संतान है,
तीन रँगो से बना तिरंगा अपनी ये पहचान है।
।।जय हिन्द जय भारत।।
तीन तीन रंगो का नहीं वस्त्र, ये ध्वज देश की सान है, हर भारतीय के दिलो का स्वभाविक है यही
है गंगा यही है हिमालय यही हिन्दू के सान है, और तीन रँगो में रंगा हुवा ये अपना हिंदुस्तान है।
कुछ नशा तिरंगे के सान की है, कुछ नशा मात्र भूमि की मान की है,
हम लहरायेंगे हर जगह ये तिरंगा, नशा ये हिंदुस्तान की सान की है।
उनके हौसले का भुकतान क्या करेंगे गए कोई, उनकी सहादत का कर्ज देश पर उधार है,
आप और हम इस लिए खुशहाल हैं, क्योकि सीमा पे सैनिक हर वक्त सहादत को तैयार हैं।
ये बात ह्वावो को बताये रखना, रोशनी होगी चिरागो को जलाये रखना,
लहू देकर जिसकी हिफाजत हमने की, ऐसे तिरगे को दिल में सदा बसाये रखना।
जो देश के लिए शहीद हुवे हैं, उन वीरों को मेरा गुणगान है ,
अपनी खून से जिन्होंने जमी को सींचा उन बहादुरों को सलाम है।
सुन्दर हे जग में सबसे नाम भी सबसे न्यारा है, वो देश हमारा है, वो देश हमारा है,
जहा जाति भाषा से बढ़ कर देश प्रेम की धारा है, वो देश हमारा है, वो देश हमारा है।
खोलता हुवा रंगो में राणा व सिवजी वाला, लहू का उफान कभी चुकने न पायेगा,
पन्नाधाय हाडा रानी का ये बलिदानी देश, करूबानी में कलेजा दुखने न पाए,
सेखर सुभास असफाक की धारा हे यहां, क्रांति का प्रभाव कभी रुकने न पायेगा।
सो करोड़ जनता के दिल में लहराता ये , , लाडला तिरगा कभी झुकने न पायेगा।
न दे दौलत न दे सोहरत कोई सिकवा नहीं,
बस भारत माँ की संतान बना देना,
हो जाओ शहीद तो बस तिरगे में लिपटा देना।
मेरा यही अंदाज जमाने को खलता हे की चिराग हवा के खिलाप क्यों जलता हे,
ये अम्न पसंद हे मेरा शर में दगा रहने दो लाल और हरे को मत काटो मेरी छत पर तिरगा रहने दो।
आजादी की कभी सैम ना होने देंगे , सहीदो की कुर्वानी कभी बदनाम न होने देंगे ,
बची हे लहू की एक बून्द रगो में, तब तक भारत माता का आँचल नीलम न होने देंगे।
खूब बहती हे अम्न की गंगा बहने दो मत फेलाओ देश में रहने दो,
लाल हरे रंग में न बाटो हमको मेरे हाथ पर एक तिरगा रहने दो।
गीले चावल में सकर क्या गिरी, तुम भिकारी खीर समझ बैठे,
चंद कुतो ने पाकिस्तान जिंदाबाद क्या बोला ,
तुम कश्मीर को अपने बाप के जागीर समझ बैठे।
चलो फिर से आज वो नजारा याद् कर ले, सहीदो में थी ज्वाला याद कर ले,
जिसमे बहकर आजादी पहुंची थी किनारे पे, देश भक्तो की वो याद कर ले।
सफलता का उचाई का गगन बना जाता , हम जीत का जश्न बन जाता हे , दोस्तों तिरगे की महानता तो देखो, जो देश के लिए शहीद होते हे, तिरगा उनके लिए कफ़न बना जाता हे।
कुछ हाथ से मेरे निकल गए वो पल छपक कर छिप गए,
फिर लॉस बिछ गए लाखो की, सब पलक झपक के बदल गयी।
जब रिश्ते काश में बदल गए, इंसानियत का दिल दहल गया,
में पूछ पूछ कर हांर गया क्यों मेरा भारत बदल गया।
न जियो धर्म के नाम पर, न मरो धर्म के नाम पर,
इंसानियत ही हे धर्म के नाम का बस जियो वतन के नाम पर। जय हिन्द जय भारत।
जिंदगी तो अपने डैम पर ही जी जाते हे, दुसरो के कंधो पर तो सिर्फ जनाजे उठाये जाते हे।